- एक मिनट में जलकर खाक हुआ 75 फीट का रावण
- आतिशबाजी के साथ बुराई के प्रतीक का कुनबे सहित हुआ अंत
- कोटा में राष्ट्रीय दशहरे मेले का हुआ रंगारंग आगाज
- उमड़ा लोगों का हुजूम, सड़कों पर घंटों तक लगा रहा जाम
संवाददाता कोटा।कोटा में आतिशबाजी के साथ रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के दहन के साथ ही राष्ट्रीय दशहरे मेले का आगाज हो गया।
मंगलवार रात भगवान लक्ष्मी नारायणजी की सवारी के साथ लाव लश्कर सहित पहुंचे कोटा रियासत के पूर्व महाराव इज्यराज सिंह ने पूजा के बाद रावण की नाभि के कलश को तीर से भेदा। इसके बाद देखते ही देखते रावण का कुनबे सहित अंत हो गया। रावण दहन देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। जिससे सड़कों पर घंटों जाम लगा रहा।
पुलिस प्रशासन व यातायात पुलिस को ट्रैफिक कंट्रोल में खासी परेशानी हुई। विजयश्री रंगमंच पर करीब पौन घंटे आकर्षक रंगीन आतिशबाजी हुई। लोग इन यादगार पलों को अपने कैमरों में कैद करते रहे।
इससे पहले दिनभर तेज धूप में रावण सहित कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले दशहरा मैदान में खड़े रहे। रात को दहन से पूर्व 75 फीट के रावण व 50-50 फीट के कुम्भकर्ण व मेघनाद के पुतलों ने गर्दन घुमाने से लेकर तलवार चलाने के करतब दिखाए। जमकर अट्टहास भी किया।
गढ़ पैलेस में दरीखाने की रस्म के बाद भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी दशहरा मैदान पहुंची। वहां पूर्व महाराव इज्येराज सिंह ने सीता माता के पाने ज्वारे की पूजा की।
रावण के अमृत कलश पर तीर चलाया। पूर्व महाराज इज्यराज सिंह के अमृत कलश फोड़ने के साथ ही रात 8.07 बजे रावण के कुनबे का दहन शुरू हुआ। एक-एक करके पुतलों का दहन किया गया। पुतलों में आग लगते ही दहन स्थल पर मौजूद अधिकतर लोग इस नजारे को अपने मोबाइल के कैमरों में कैद करने लगे। सबसे पहले कुम्भकर्ण व उसके बाद मेघनाद के पुतले को आग लगाई गई। अंत में रावण का पुतले का दहन हुआ। इस बार ग्रीन आतिशबाजी के रंगीन नजारों के साथ अहंकारी रावण का कुनबे सहित दहन हुआ।
एहतियातन सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता बंदोबस्त रहे। आतिशबाजी रिमोट से नियंत्रित तरीके से की गई। खास बात यह रही कि इस बार तीनों पुतलों के दहन के साथ आतिशबाजी हुई। जबकि पहले केवल रावण के पुतले के दहन के समय ही आतिशबाजी की जाती थी। इस प्रकार काफी अधिक देर तक हुई आतिशबाजी ने भी लोगों को देर तक बांधे रखा।
मखमली मूछों को देता रहा ताव
रावण वध से पहले अट्टहास करते हुए रावण के पुतले ने पूरा दशहरे मैदान को गुंजा दिया। इस बार रावण रथ पर सवार होकर मखमली मूछों को ताव देता रहा। बार-बार युद्ध के लिए ललकारते हुए रावण परम्परा के अनुसार दुर्गति को प्राप्त हुआ।
थ्री डी लुक में नजर आया रावण का पुतला
इस बार रावण का पुतला रथ पर सवार नजर आया। रावण खड़ा हुआ तो इसके बाद भी उसकी झालर कुर्ते की तरह हिलती हुई नजर आई। इसकी सजावट में श्री डी इफेक्ट डाला गया था। यह हर तरफ से एक सा नजर आ रहा था। वहीं हर बार की तरह इस बार भी रावण के पुतले ने गर्दन घुमाई, तलवार चलाई, पलकें और होंठ हिलाए।
रावण दहन देखने उमड़े लोग, लगा जाम
रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग दशहरा मैदान पहुंचे। दहन से पूर्व हर कोई इन पुतलों के साथ सेल्फी ले रहा था। छोटे बच्चों को पिता अपने कंधों पर बैठाकर दहन दिखा रहे थे।
शाही ठाठ के साथ निकली भगवान लक्ष्मीनारायण की सवारी
मंगलवार को गढ़ में पूजा के बाद दरीखाने से राजसी वैभव और ठाट-बाट के साथ हाथी पर सवार होकर भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी निकाली गई। उनके पीछे पूर्व महाराव इज्येराज सिंह खुली जीप में सवार होकर चल रहे थे। सवारी गढ़ पैलेस से रवाना होकर किशोरपुरा दरवाजे से होते हुए दशहरा मैदान स्थित विजयश्री रंगमंच पर पहुंची। भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी में झांकियों के अलावा राम और रावण की सेना युद्ध करते हुए दिखी। राक्षस घोड़ों पर सवार थे तो वानर सेना हाथों में गदा लिए उनसे लड़ रही थी।
मां कालिका द्वारा असुर संहार और रौद्र रूप भी जनता को रास आया। शोभायात्रा के मार्ग में दोनों ओर खड़े लोगों ने भगवान लक्ष्मीनारायण के जयकारे लगाए। भगवान लक्ष्मी नारायण की सवारी में सबसे आगे 31 घुडसवार थे। काली माता, भगवान हनुमान व रावण समेत विभिन्न 10 झांकियां थीं। उसके बाद अलग-अलग प्रदेशों के लोक कलाकारों के दल भांगड़ा करते व 10 कच्छी घोड़ी नृत्य करते नजर आए।
शोभायात्रा में 70 वानर सैनिक और 70 रावण के सैनिक युद्ध करते हुए चल रहे थे। इस दौरान एक हाथी और 5 घोड़ा बग्घी मौजूद रही। भगवान की सवारी के साथ ऊंट गाड़ी में युद्ध के नगाड़े बजते हुए युद्ध दृश्य बनाए गए थे। मशक बैंड, आर्मी बैंड और पुलिस बैंड सहित 5 बैंड मधुर स्वर लहरियां बिखेरते हुए चल रहे थे।
दरीखाने में झलका राजसी वैभव
राष्ट्रीय मेला दशहरा 2023 के तहत गढ़ पैलेस में परम्परागत दरीखाना सजा। इसमें हाड़ौती के पूर्व ठिकानों के प्रतिनिधि परम्परागत वेशभूषा में सज-धज कर मौजूद रहे। सभी ने एक दूसरे को दशहरा की बधाई देते हुए रामा श्यामी की।
विदेशी मेहमानों ने भी उठाया लुत्फ
कोटा दशहरे मेले में रावण दहन और भगवान लक्ष्मीनारायण की भव्य सवारी को देखने के लिए विदेशी पर्यटक भी आए। पर्यटन अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि जर्मनी, मेक्सिको और फ्रांस के 30 पर्यटकों का दल कोटा पहुंचा। इन्होंने दशहरे मेले और राजस्थानी लोक संस्कृति की भव्यता को खूब सराहा।
मथुराधीश मंदिर से आया बीड़ा
शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश मंदिर से परम्परागत रूप से बीड़ा आया। इसे पूर्व महाराज इज्यराज सिंह को सौंपा गया। मंदिर की ओर से प्रथम पीठ युवराज मिलन कुमार बाबा के प्रतिनिधि चेतन सेठ ने पूर्व महाराज को प्रसाद की पोटली का बीड़ा सौंपा।
कंकड़ मारने पहुंचे लोगों से पुलिस ने की समझाइश
अहंकार के प्रतीक रावण के पुतले को कुटुम्ब सहित दहन स्थल पर खड़ा किया गया था। इन पुतलों को कंकड़ मारने की परम्परा का निर्वहन करने लोग भी भारी संख्या में लोग पहुंचे। मान्यता है कि रावण के पुतले को कंकड़ मारने से बीमारियां नहीं होती हैं। इस मान्यता अनुसार ही लोग शनिवार देर रात से ही इन पुतलों को कंकर मारने पहुंचना शुरू हो गए थे। यह सिलसिला मंगलवार को भी दिनभर जारी रहा। भारी भीड़ और कुछ असामाजिक तत्वों के कारण मौके पर पुलिस बल भी तैनात रहा। परम्परा की आड़ में कुछ लोगों ने कंकड़ की जगह पत्थर ही मारने शुरू कर दिए। इससे मौके पर काम कर रहे कर्मचारियों और अधिकारियों को पत्थर लगने का खतरा हो गया।
दूसरी ओर पुतले को भी इन पत्थरों से क्षति होने लगी। यहां बच्चों के साथ पुतले की एक झलक पाने पहुंचे लोगों को भी पत्थर लगने की आशंका हो गई। इस पर पुलिस प्रशासन और निगम अधिकारियों ने लोगों से समझाइश की। मुख्य अभियंता प्रेमशंकर शर्मा सहित मौजूद अन्य अभियंताओं ने लोगों से पत्थर न फेंकने की अपील की। उल्लेखनीय है कि सिंधी समाज में भी पुतले के पीछे बच्चों का मुंडन कराने की परम्परा है।
~अहमद सिराज फारूकी