हस्तिनापुर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ विभिन्न योजनाओं को चलाते हुए जनमानस का भरोसा जीत रहे हैं। वही कुछ सत्ताधारी सफेद पोस नेता सरकारी तंत्र को कब्जे में लेकर गरीब मजलूमों की जान जोखम में डालने से बाज नहीं आ रहे हैं। मवाना तहसील क्षेत्र के कौरव पांडवों की नगरी हस्तिनापुर में स्थापित आयुर्वेदिक हॉस्पिटल की हालत जर्जर बनी हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 2002 में पुरानी बिल्डिंग को चिन्हित कर सरकार द्वारा आयुर्वेदिक अस्पताल बनाया गया था। तभी से बिल्डिंग की हालत खराब है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस और ध्यान देने को तैयार नहीं है। शायद संबंधित अधिकारीयों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है? बता दे की आयुर्वैदिक हॉस्पिटल 2002 में पूर्व से ही बनी बिल्डिंग में स्थापित किया गया था तभी से बिल्डिंग की हालत बहुत ही खस्ता हाल है मरीजों की आज भी लंबी-लंबी कतारे लगी रहती हैं लोग आज भी आयुर्वेदिक पर बहुत ज्यादा विश्वास करते हैं लेकिन डॉक्टर व समस्त स्टाफ अपना कार्य बखूबी अच्छे से निभा रहे हैं।
*आयुर्वेद हॉस्पिटल के केतन मगवाल प्रभारी व स्टॉप राजकुमार* के अनुसार*
इस दौरान आयुर्वेद अस्पताल चिकित्सा प्रभारी केतन मंगवाल तथा स्टाफ राजकुमार ने मीडिया कर्मीयो के पूछने पर जानकारी देते हुए बताया कि संबंधित अधिकारियों को कई बार इसके बारे में अवगत कर चुके हैं। नगर पंचायत को भी लिखित में लेटर दे चुके हैं
अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एक तरफ तो देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री आयुर्वेदिक पर विशेष ध्यान दे रहे हैं दूसरी तरफ हस्तिनापुर आयुर्वेदिक हॉस्पिटल की हालत खस्ता हाल है। जबकि एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि यहां हस्तिनापुर विधायक सत्ता में है राज्य मंत्री भी हैं? तथा हस्तिनापुर नगर पंचायत अध्यक्ष भी एक ही कुनबे से हैं। इसके बावजूद भी हस्तिनापुर क्षेत्र में इस प्रकार की शिकायत मिलना मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के मंसूबों पर पानी फेरने के बराबर है? रोज दर्जनों मरीज अपना उपचार करने के लिए आयुर्वेद अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन अस्पताल की जर्जर बिल्डिंग कब कितने लोगों को अपनी आगोश में ले ले यह भगवान भरोसे है?
