पार्वती शिव विवाह की कथा हिंदू धर्म में प्रेम, भक्ति और आत्म-समर्पण के महत्व को उजागर करती है– रामेश्वर

पार्वती शिव विवाह की कथा हिंदू धर्म में प्रेम, भक्ति और आत्म-समर्पण के महत्व को उजागर करती है– रामेश्वर

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Basti (Uttar Pradesh) आदर्श नगर पंचायत नगर बाजार के हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रांगण मे चल रहे नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के दूसरे दिन श्रीरामेश्वरम शारदा शक्तिपीठ मैहर से पधारे कथा व्यास अनंत श्री समलंकृत ने भगवान शिव व पार्वती के विवाह के कथा पर प्रकाश डाला और कहा कि पार्वती भगवान शिव की पत्नी बनने के लिए कठोर तपस्या करती हैं। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं। पार्वती के पिता हिमवान, जो हिमालय के राजा थे, ने अपनी बेटी के विवाह के लिए भगवान शिव को आमंत्रित किया। भगवान शिव के विवाह के लिए सभी देवताओं और ऋषियों को आमंत्रित किया गया। विवाह के दिन, भगवान शिव अपने गणों और भूतों के साथ बारात लेकर हिमवान के घर पहुंचे। भगवान शिव की बारात को देखकर सभी देवता और ऋषि आश्चर्यचकित हो गए, क्योंकि भगवान शिव की बारात में कोई भी पारंपरिक बारातियों जैसा नहीं था। इसके बावजूद, पार्वती और भगवान शिव का विवाह बहुत ही धूमधाम से हुआ। भगवान शिव और पार्वती के विवाह में सभी देवताओं और ऋषियों ने भाग लिया और उनकी खुशी में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि पार्वती शिव विवाह की कथा हिंदू धर्म में प्रेम, भक्ति और आत्म-समर्पण के महत्व को उजागर करती है। यह कथा भगवान शिव और पार्वती के बीच के प्रेम को एक आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करती है। इस कथा में कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं जो हिंदू धर्म और संस्कृति में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यह कथा प्रेम, भक्ति और आत्म-समर्पण के महत्व को दर्शाती है और भगवान शिव और पार्वती के बीच के प्रेम को एक आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करती है।

इस अवसर पर समाजसेवी राणा दिनेश प्रताप सिंह, कपिलदेव सिंह, उर्फ मम्मू सिंह, रामजी कसौधन, आशीष सिंह, शेष मणि गुप्ता, अजय, इंदल चौधरी, राम कुमार, अरविन्द, बृजेश गुप्ता, पवन कुमार, हनुमान गुप्ता, विष्णु गुप्ता समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

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