संवाददाता कोटा: जिले में कोचिंग स्टूडेंट्स की लगातार हो रही आत्महत्याओं के सिलसिले में गुरूवार को जिला कलक्टर ने कोचिंग व हॉस्टल संचालकों को नोटिस जारी किया है।
जिला कलक्टर एमपी मीना की अध्यक्षता में गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभागार में प्रशासनिक अधिकारियों एवं कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों, हॉस्टल संचालकों की बैठक आयोजित कर सख्त निर्देश जारी किए। बैठक में कोचिंग विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या के कारणों एवं रोकथाम के विषय पर विस्तार से समीक्षा भी की गई।
जिला कलक्टर एमपी मीना ने समस्त कोचिंग एवं हॉस्टल संचालकों को निर्देशित किया कि कोचिंग एवं हॉस्टल के लिए जो गाइड लाइन तैयार की गई है। उसकी शत प्रतिशत पालना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि कोटा का प्रत्येक छात्र हमारी जिम्मेदारी है व छात्र में किसी भी तरह के अवसाद, चिंता जैसे लक्षण मिलते हैं तो कोचिंग संस्थान एवं हॉस्टल संचालक अपने प्रयासों के साथ-साथ अविलंब प्रशासन द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों को भी सूचित करें। ताकि वह अपने स्तर पर भी छात्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने कोचिंग संस्थानों को निर्देशित किया कि सात दिवस के अंदर सभी छात्रों का व्यक्तिगत आकलन करें एवं उसके आधार पर तैयार रिपोर्ट की कार्य योजना प्रस्तुत करें। उन्होंने हॉस्टल संचालकों को निर्देशित किया कि प्रत्येक हॉस्टल में पंखों पर हैंगिंग डिवाइस होना अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिला कलक्टर ने प्रशासन द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों को न्यूनतम 10 हॉस्टल जाकर छात्रों से बात कर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने नोडल अधिकारियों से छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य एवं उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं।
पुलिस अधीक्षक शहर शरद चौधरी ने कोचिंग संस्थानों एवं हॉस्टल संचालकों को निर्देश दिए कि कोचिंग एवं हॉस्टल का संचालन गाइड लाइन के अनुसार करें एवं जो आदेश छात्रों की सुरक्षा के लिए दिए जाते हैं उसकी शत प्रतिशत पालना करें। अन्यथा इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा अगर किसी भी कारण से बच्चा कोचिंग या पढ़ाई से लंबा ब्रेक लेता है और पुनः कोचिंग ज्वाइन करता है, ऐसे में उस पर कोर्स खत्म करने का ज्यादा दबाव होता है जो उसके लिए सहन कर पाना मुश्किल होता है तथा ऐसे छात्रों के लिए पुनरावलोकन करना आवश्यक है ताकि वह दबाव में ना आए। बैठक में लगातार कम अंक वाले छात्रों पर निगरानी उनके लिए विशेष कार्य योजना तैयार करने की भी बात की गई एवं उनके परिवार जनों से भी साझा करने की बात कही गई।
बैठक में अतिरिक्त कलक्टर प्रशासन राजकुमार सिंह, अतिरिक्त कलक्टर शहर बृजमोहन बैरवा, कुल सचिव कृषि विश्वविद्यालय सुनीता डागा, उप निदेशक महिला एवं बाल विकास राजेश डागा, जिला रसद अधिकारी पुष्पहरवानी, मनोचिकित्सक डॉ विनोद एमएचओ डॉ जगदीश सोनी, साइकोलोजिस्ट पूर्ति 1 कोचिंग संस्थान के प्रतिनिधि व हॉस्टल संचालक सगठन क प्रतिनिधि मौजूद रहे।
फरीद मामले में तीन दिन में मांगा जवाब
जिला कलक्टर महावीर प्रसाद मीणा ने 27 नवंबर को नीट स्टूडेंट फरीद के मामले में कोचिंग संस्थान को नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब मांगा है। नोटिस में लिखा है कि 12 नवंबर की काउंसिलिंग में पता लग गया था कि छात्र अवसाद में है। इसकी काउंसिलिंग संस्थान द्वारा की जा रही थी। इसके बावजूद संस्थान ने इसकी सूचना प्रशासन को नहीं दी। सूचना समय पर दी जाती तो छात्र के माता पिता से समझाइश की जा सकती थी। प्रशासन ने इसे छात्रों के मनोबल बढ़ाने के लिए उदासीनता और निर्देशों की अवज्ञा की श्रेणी में माना है।
90% हॉसट्ल्स में इंस्टॉल है एंटी हैंगिंग डिवाइस
कोटा में 3800 हॉस्टल रजिस्टर्ड हैं। अलग-अलग इलाकों के हिसाब से हॉस्टल्स की अपनी एसोसिएशन बनी हुई है। हॉस्टल एसोसिएशन अध्यक्ष नवीन मित्तल के अनुसार शहर के 90 प्रतिशत (3420) हॉस्टल्स में स्प्रिंग वाले एंटी सुसाइड पंखों के साथ अटैच है। मित्तल के अनुसार कोटा में 40 हजार से ज्यादा पेइंग गेस्ट चल रहे हैं। जिनमें एक से लेकर कई कमरों के पेइंग गेस्ट शामिल हैं। यह रजिस्टर्ड भी नहीं है। इनके अलावा कई कॉलोनियों में स्टूडेंट किराए के घरों में रह रहे हैं। प्रशासन ने आदेश जारी कर दिए कि हॉस्टलों और पीजी में एंटी हैंगिंग डिवाइस जरूरी है, लेकिन सवाल यह है कि हॉस्टल पर तो प्रशासन निगरानी रख लेगा। लेकिन पेइंग गेस्ट्स पर कैसे निगरानी करेगा।
इस साल अब तक हो चुके हैं 26 सुसाइड
कोटा में इस साल जनवरी के महीने से लेकर अभी तक कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं के 26 मामले सामने आ चुके हैं। यानी हर माह कोटा में 2 से अधिक कोचिंग स्टूडेंट्स आत्महत्या कर रहे हैं।
14 जनवरी: यूपी निवासी अली राजा ने सुसाइड किया था। वह कोटा में JEE की तैयारी कर रहा था। पिछले 1 महीने से कोचिंग नहीं जा रहा था।
15 जनवरीः उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले रणजीत (22) फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था। स्टूडेंट के पास सुसाइड नोट मिला। लिखा- मैं विष्णु का अंश हूं, मैं भगवान से मिलने जा रहा हूं।
8 फरवरीः कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के लैंडमार्क सिटी इलाके में एक छात्रा ने मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के 10 वें माले से कूदकर सुसाइड कर लिया। छात्रा कृष्णा (17) बाड़मेर की रहने वाली थी।
8 फरवरी: उत्तरप्रदेश के धनेश कुमार ने फांसी लगाई थी। वह 3 महीने पहले ही कोटा आया था
24 फरवरी: यूपी के बदायूं का रहने वाले 17 साल के अभिषेक ने फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी। वह दो साल से कोटा में रह रहा था। अभिषेक NEET की तैयारी कर रहा था।
26 अप्रैल: राशि जैन (19) ने हॉस्टल के रूम में फंदा लगाया था। वह मध्यप्रदेश के सागर की रहने वाली थी। जो एक साल से कोटा में रहकर नीट की कोचिंग कर रही थी।
8 मई: स्टूडेंट नासिर (22) बेंगलुरु का निवासी था। उसने मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के 10वें माले से कूदकर सुसाइड कर लिया। वह सुसाइड के एक दिन पहले जयपुर में नीट का एग्जाम देकर आया था।
11 मई: धनेश कुमार (15) ने हॉस्टल में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था। स्टूडेंट 11वीं क्लास में पढ़ता था। NEET की तैयारी कर रहा था।
12 मई: बिहार के पटना निवासी नवलेश (17) हॉस्टल में फांसी लगाकर सुसाइड किया था। नवलेश 12 वीं की पढ़ाई के साथ नीट की तैयारी कर रहा था।
24 मईः कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र में बिहार के नांलदा के रहने वाले आर्यन (16) फांसी लगाकर सुसाइड किया। वह नीट की तैयारी कर रहा था।
7 जूनः पश्चिम बंगाल के कुरोलिया निवासी 18 साल के परितोष कोहिरी की संदिग्ध मौत हो गई। वह निजी कोचिंग से नीट की तैयारी कर रहा था।
12 जूनः महाराष्ट्र निवासी 17 साल के भार्गव केशव ने कमरे में फांसी लगा ली। वो 2 महीने से JEE की तैयारी कर रहा था।
16 जून: बिहार के समस्तीपुर निवासी रोशन (21) ने सुसाइड किया था। उसने नीट का एग्जाम दिया था। जिसमें फेल हो गया था।
27 जून: यूपी के जोनपुर निवासी आदित्य (17) ने अपने रूम पर फांसी लगा ली। आदित्य नीट की तैयारी कर रहा था।
27 जूनः उदयपुर के सलूंबर का निवासी मेहुल वैष्णव (18) ने हॉस्टल में फांसी लगा ली। स्टूडेंट दो महीने पहले ही कोटा आया था।
8 जुलाई: यूपी के रामपुर जिले के निवासी बहादुर सिंह (17) फांसी लगाकर सुसाइड किया। दो महीने पहले ही कोटा आया था।20:54 ए
8 जुलाई: यूपी के रामपुर जिले के निवासी बहादुर सिंह (17) फांसी लगाकर सुसाइड किया। दो महीने पहले ही कोटा आया था।
3 अगस्तः NEET की तैयारी कर रहे यूपी के छात्र मनजोत ने सुसाइड किया था।
4 अगस्तः बिहार के चंपारण के भार्गव मिश्रा ने सुसाइड किया था। JEEकी तैयारी के लिए आया था।
10 अगस्त: यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले मनीष प्रजापति (17) ने हॉस्टल में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। मनीष 6 महीने पहले ही कोटा आया था और जेईई की तैयारी कर रहा था।
16 अगस्तः बिहार का रहने वाला वाल्मीकि प्रसाद जांगिड़ (18) जुलाई 2022 में कोटा आया था। स्टूडेंट ने कमरे की खिड़की से लटक कर सुसाइड किया था।
28 अगस्त: बिहार के रहने वाले आदर्श ने फंदे से लटककर सुसाइड कर लिया था।
28 अगस्तः बिहार के रहने वाले आदर्श ने फंदे से लटककर सुसाइड कर लिया था।
28 अगस्तः महाराष्ट्र के स्टूडेंट आविष्कार संभाजी ने सुसाइड कर लिया। वह भी हॉस्टल के कमरे में फंदे से झूल गया था।
12 सितंबर: झारखंड की रिचा सिन्हा ने सुसाइड किया था। उसने बालकनी का दरवाजा बंद कर अपनी रूममेट के सामने ही सुसाइड किया था।
19 सितंबर: यूपी की मऊ की रहने वाली प्रियम सिंह ने सल्फास खाकर सुसाइड किया था। उसकी हॉस्टल के सामने तबीयत बिगड़ गई थी।
27 नवंबर: पश्चिम बंगाल के रहने वाले फरीद ने फांसी लगाकर जान दी थी। फरीद भी नीट की तैयारी कर रहा था।
30 नवंबर: नीट की तैयारी कर रही उत्तर प्रदेश के औरैया की रहने वाली निशा यादव ने फंदा लगाकर जान दे दी।
2 स्टूडेंट्स ने की थी सुसाइड की कोशिश
19 जनवरी: जवाहर नगर थाना क्षेत्र में एक स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की थी। स्टूडेंट ने खुद को आग लगा ली थी। समय रहते स्थानीय लोगों ने उसे बचाया और हॉस्पिटल पहुंचाया। स्टूडेंट बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले का रहने वाला था।
29 जनवरीः विज्ञान नगर इलाके में कोचिंग स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की थी। स्टूडेंट हॉस्टल की चौथी मंजिल की बालकनी से नीचे कूद गया था। गंभीर हालत में उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
कमेटी ने ये बताए थे सुसाइड के कारण
कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड मामलों को लेकर राज्य सरकार ने 20 अक्टूबर को एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने स्टूडेंट्स के सुसाइड करने के कई प्रमुख कारण बताए थे। जिनमें कॉम्पिटिटिव एग्जाम में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड और अच्छी रैंक लाने का प्रेशर।
कोचिंग के प्रैक्टिस टेस्ट में अच्छा परफॉर्म न कर पाने से होने वाली निराशा।
बच्चों की योग्यता, रूचि और क्षमता से ज्यादा पढ़ाई का बोझ और पेरेंट्स की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रेशर।
टीनएज में होने वाले मानसिक और शारीरिक बदलाव, परिवार से दूर रहना, काउंसिलिंग और सपोर्ट सिस्टम का अभाव।
बार-बार होने वाले असेसमेंट टेस्ट और रिजल्ट की चिंता, कम स्कोर करने पर डांट या टिप्पणी सुनना, रिजल्ट के आधार पर बैच बदलने का डर।
कोचिंग इंस्टिट्यूट का टाइट शेड्यूल, को-करिकुलर एक्टिविटीज न होना और छुट्टियां न मिलना आदि प्रमुख कारण थे।
रिपोर्ट- अहमद सिराज फारूकी